उड़ीसा में निजीकरण के प्रयोग की दोबारा विफलता को देखते हुए उत्तर प्रदेश में निजीकरण न थोपने की अपील : निजीकरण के विरोध में प्रांतव्यापी विरोध  प्रदर्शन जारी

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उड़ीसा में निजीकरण के प्रयोग की दोबारा विफलता को देखते हुए उत्तर प्रदेश में निजीकरण न थोपने की अपील : निजीकरण के विरोध में प्रांतव्यापी विरोध  प्रदर्शन जारी

UP/ D I T NEWS :- विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उत्तर प्रदेश ने प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी से अपील की है कि उड़ीसा में निजीकरण के प्रयोग के दोबारा विफल हो जाने के बाद उत्तर प्रदेश में बिजली के निजीकरण के इस असफल प्रयोग को गरीब जनता पर न थोपा जाय । निजीकरण के विरोध में आज लगातार 231 वें दिन प्रदेश के समस्त जनपदों और परियोजनाओं पर  विरोध सभाओं का क्रम जारी रहा।
         विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति की तरफ से आज कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे ई0 के एन शुक्ला ने बताया कि संयुक्त संघर्ष समिति उप्र के केंद्रीय पदाधिकारियों ने प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी से अपील की है कि वह बिजली सेक्टर में  निजीकरण के असफल प्रयोग को उत्तर प्रदेश की गरीब जनता पर थोपने की इजाजत न दे और निजीकरण की प्रक्रिया तत्काल रद्द करने का निर्देश दें।
         उन्होंने बताया कि उड़ीसा विद्युत नियामक आयोग ने स्वतः संज्ञान लेते हुए टाटा पावर की चारों कंपनियों को उनकी उपभोक्ता सेवाओं के प्रति विफलता को देखते हुए विगत 21 जून को नोटिस जारी किया था। टाटा पावर की चारों कंपनियों के मुख्य कार्यकारी अधिकारियों को नोटिस जारी कर उड़ीसा विद्युत नियामक आयोग ने उपभोक्ता सेवाओं में कोताही  के मामले में 15 जुलाई को सफाई देने के लिए  बुलाया था।
       15 जुलाई को टाटा पावर की चारों कंपनियों के मुख्य कार्यकारी अधिकारी विद्युत नियामक आयोग को कोई संतोषजनक उत्तर नहीं दे पाए। अंततः उड़ीसा विद्युत निगम आयोग ने 15 जुलाई को यह निर्णय दिया कि अगले एक महीने के अंदर टाटा पावर की चारों कंपनियों की उपभोक्ता सेवाओं के प्रति कोताही  और अक्षमता के मामले पर अब जनसुनवाई की जाएगी। उड़ीसा की चारों विद्युत वितरण कंपनियों के क्षेत्र में जाकर विद्युत नियामक आयोग टाटा की चारों कंपनियों के परफॉर्मेंस के बारे में आम जनता से राय लेगा।
       इसके पूर्व स्वत: संज्ञान लेते हुए उड़ीसा विद्युत नियामक आयोग ने टाटा पावर की चारों कंपनियों को नोटिस दिया था। नोटिस में कहा गया था कि इलेक्ट्रिसिटी एक्ट 2003 के सेक्शन 43 में यह लिखा है कि पूरी तरह से सही आवेदन देने के बाद उपभोक्ता को एक माह के अंदर बिजली का कनेक्शन मिल जाना चाहिए। ऐसी शिकायतें आम है कि एक किलो वाट के गरीब उपभोक्ताओं को टाटा पावर कनेक्शन देने में कोताही कर रहा है।
      उड़ीसा विद्युत नियामक आयोग ने अपनी नोटिस में लिखा था उड़ीसा विद्युत नियामक आयोग (आपूर्ति की शर्तें)  कोड 2019, उड़ीसा विद्युत नियामक आयोग (स्टैंडर्ड और परफॉर्मेंस)  रेगुलेशन 2004 के अंतर्गत इस बात का प्राविधान है कि विद्युत वितरण कंपनी बिजली की बढ़ती हुई माँग  की दृष्टि से बिजली के इंफ्रास्ट्रक्चर को अपग्रेड करेगी और इसका विस्तार करेगी किंतु टाटा पॉवर द्वारा ऐसा कुछ भी नहीं किया जा रहा है। नए कनेक्शन और टेंपरेरी  कनेक्शन टाटा पावर की दया पर निर्भर हो गए हैं।  यहां तक की एचटी फीडर पर वोल्टेज का बहुत ज्यादा उतार चढ़ाव हो रहा  है।
      संघर्ष समिति के पदाधिकारी दिलीप सिंह ने बताया कि उड़ीसा देश का ऐसा पहला प्रांत है जहां पूरे प्रांत का निजीकरण 1999 में किया गया था।  निजीकरण का प्रयोग उड़ीसा में पूरी तरह विफल रहा। अमेरिका की एईएस कंपनी एक साल में ही भाग गई। इस कंपनी ने चक्रवात के बाद बिजली का ध्वस्त हो गया ढांचा बनाने से इनकार कर दिया। तीन अन्य कंपनियों का वितरण लाइसेंस रिलायंस के पास था। उड़ीसा के विद्युत नियामक आयोग ने फरवरी 2015 में पूरी तरह अक्षम  और असफल रहने के चलते इन तीनों कंपनियों का वितरण का लाइसेंस रद्द कर दिया था।
        कोरोना के दौरान 2020 में उड़ीसा की चारों विद्युत वितरण कंपनियों का लाइसेंस टाटा पावर को दे दिया गया। अब उड़ीसा विद्युत नियामक आयोग ने स्वत: संज्ञान लेते हुए इन चारों कंपनी को पूरी तरह अक्षम रहने के कारण नोटिस जारी किया है और इनके परफॉर्मेंस पर अगले एक माह में  जनसुनवाई का आदेश जारी कर दिया है।
         संघर्ष समिति के पदाधिकारी सूरज प्रजापति ने कहा कि पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम का भौगोलिक क्षेत्र पूरे उड़ीसा से कहीं अधिक बड़ा है। जो प्रयोग उड़ीसा में पूरी तरह विफल रहा जहां कृषि क्षेत्र मात्र 4% है उस सफल प्रयोग को उत्तर प्रदेश के 42 जनपदों की गरीब जनता पर थोपने का  कहां तक औचित्य है जहां कृषि और ग्रामीण क्षेत्र 35% से अधिक  है।
       संघर्ष समिति की पदाधिकारी दीक्षा श्रीवास्तव ने कहा कि पावर कार्पोरेशन प्रबंधन और शासन में बैठे हुए उच्च अधिकारी निहित स्वार्थवश पूर्वांचल और दक्षिणांचल की गरीब जनता को अंधेरे में झोकना चाहते हैं। 
       उन्होंने उम्मीद जताई कि उड़ीसा के मामले में उड़ीसा विद्युत नियामक आयोग के फैसले को देखते हुए प्रदेश के मुख्यमंत्री माननीय योगी आदित्यनाथ जी निजीकरण का फैसला निरस्त करने का निर्देश देंगे और प्रदेश की जनता को लालटेन युग में नहीं जान देंगे।
     आज संत कबीर नगर में आयोजित विरोध प्रदर्शन में ई0 राजेश कुमार, ई0 धनंजय सिंह, ई0 पंकज कुमार, ई0 अमित सिंह , कार्यकारी सहायक दिलीप सिंह, राघवेन्द्र सिंह, संतोष गुप्ता, सुनील कुमार प्रजापति, नारायण चंद्र चौरसरिया, रंजन राज  रमेश प्रजापति , अशोक कुमार, दिलीप मौर्य, दिनेश शर्मा, श्रवण प्रजापति समेत अन्य बिजली कर्मचारियों मौजूद रहे ।

ई0 मुकेश गुप्ता 
जिला संयोजक 
संत कबीर नगर